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क्या है ब्लैक फंगस, जाने इस के लक्षण व बचाव के उपाय, क्या कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव है ब्लैक फंगस

*सावधान! कहीं भारी ना पड़ जाए लापरवाही, अब घर-घर मंडरा रहा हैं ब्लैक-फंगस का खतरा*

*यहां जाने ब्लेक फंगस से जुड़ी पूरी खबर !*

जयपुर। प्रदेश में कोरोना के साथ ही अब घर-घर ब्लैक-फंगस की दस्तक का खतरा मंडरा रहा है। राज्य सरकार ने भी आज नोटिफिकेशन जारी कर ब्लेक फंगस को कोरोना की तरह महामारी घोषित किया है, जिसका हर हिसाब रखा जाएगा। ये खबर कोई आपको डराने के लिए नही, बल्कि चिकित्सकों की तरफ से सामने आ रही एडवाजरी की बानगी है। चिकित्सकों के मुताबिक कोरोना मरीजों में स्टेरॉयड के उपयोग के साथ ही ऑक्सीजन थैरेपी में नॉर्मल वॉटर के उपयोग से भी “ब्लैक-फंगस” का संक्रमण फैल रहा है। सबसे चिंता की बात ये है कि मौजूदा हालात में अस्पतालों के साथ ही घर-घर में ऑक्सीजन कंसट्रेटर का उपयोग तो धडल्ले से शुरू हो गया है, लेकिन इस दौरान बरती जाने वाली सावधानी से अधिकांश लोग बेखबर है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं ब्लैक-फंगस से जुड़ी हर एक वो जानकारी, जिसे चिकित्सकों से जानी, जो जिन्दगी बचाने की मुहिम में कारगर साबित हो सकती है।

*ब्लैक फंगस की दस्तक ने उडा दी पूरे सिस्टम की नींद*

प्रदेश में कोरोना के साथ ही अब म्यूकोरमाइकोसिस यानी की ब्लैक फंगस की दस्तक ने पूरे सिस्टम की नींद उडा दी है। पिछले एक पखवाड़े की बात की जाए तो सरकारी आंकड़ों में 100 से अधिक केस ब्लैक फंगस के सामने आ चुके है, जबकि फील्ड की रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़ा 300 से 400 के बीच पहुंच चुका है। अकेले एससएमस अस्पताल में शुरू की गई ओपीडी में पिछले 24 घंटे में तीन दर्जन से अधिक मरीज ब्लैक फंगस के भर्ती किए गए है। बीमारी की भयावयता का अंदाजा इस बात से लगाया जा रहा है कि जरा सी देरी से मरीजों को न सिर्फ आंखे खोनी पड़ रही है, बल्कि कईयों को तो जिन्दगी से हाथ धोना पड़ रहा है। इस बीमारी के लिए चिकित्सकों ने स्टेरॉयड के उपयोग के साथ ही ऑक्सीजन थैरेपी में नॉर्मल वॉटर के उपयोग को भी बड़ा कारण माना है, आइए आपको बताते है कि मरीज को ऑक्सीजन देते वक्त ह्यूमिडिफायर में नॉर्मल वाटर कैसे ब्लैक फंगस बांट रहा है

*ब्लैक फंगस क्या है ?*

आंख की नसों के पास में फंगस जमा हो जाता है, जो सेंट्रल रेटाइनल आर्टरी का ब्लड फ्लो बंद कर देता है। इससे अधिकांश मरीजों में आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली जाती है। इसके अलावा कई मरीजों में फंगस नीचे की ओर फैलता है तो जबडे आदि को खराब कर देता है।

*ब्लैक फंगस क्यों होता है ?*

कोरोना में दिए जाने वाले स्टेरॉयड इम्युनिटी को और भी कम कर देते हैं। कई मरीजों में डायबिटीज हाईलेवल को पार कर जाती है, जिसका साइड इफेक्ट म्यूकोरमाइकोसिस के रूप में झेलना पड़ रहा है, इसके साथ ही मरीज को ऑक्सीजन देते वक्त ह्यूमिडिफायर में नॉर्मल वाटर के उपयोग से भी संक्रमण फैलने का खतरा रहता है।

*ब्लैक फंगस के लक्षण :-*

नाक खुश्क होती है। नाक की परत अंदर से सूखने लगती है व सुन्न हो जाती है। चेहरे व तलवे की त्वचा सुन्न हो जाती है। चेहरे पर सूजन आती है। दांत ढीले पड़ते हैं।

इस फंगस व इंफेक्शन को रोकने के लिए एकमात्र इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी आता है, जिसकी उपलब्धता बाजार में न के बराबर है। पीडित मरीजों के परिजन इंजेक्शन के लिए इधर से उधर भटकने को मजबूर है। जबकि इसके विपरित लोग कोरोना मरीजों के ट्रीटमेंट के लिए घर-घर ऑक्सीजन कंसट्रेटर तो लगा रहे है, लेकिन ये ध्यान नहीं रखा जा रहा है कि उसके ह्यूमिडिफायर की कैसे मेंटीनेस करनी है। ऐसे में यदि अधिक दिनों तक ऑक्सीजन कंसट्रेटर नॉर्मल वॉटर के उपयोग में लिया गया तो संक्रमण को खतरा काफी तादात में फैल सकता है। ब्लैक-फंगस के खतरे को देखते हुए बकायदा तेलंगाना सरकार ने सभी अस्पतालों और आमजन के लिए अलर्ट जारी किया है। इस अलर्ट में न सिर्फ स्टेरॉयड को कोरोना मरीजों में प्रोटोकॉल के हिसाब से देने के निर्देश दिए गए है, बल्कि मरीजों को दी जा रही ऑक्सीजन थैरेपी की भी एसओपी जारी की है। खुद चिकित्सकों का भी मत है कि ऑक्सीजन थैरेपी के दौरान ह्यूमिडिफायर में नॉर्मल वाटर का उपयोग संक्रमण को बढ़ा सकता है।

*एक नजर में ऑक्सीजन थैरेपी को लेकर तेलंगाना सरकार की गाइडलाइन :*

◆ ह्यूमिडिफायर में हमेशा स्टेराइल या डिस्टिल वॉटर उपयोग में लें

◆ नल और मिनिरल वॉटर को बगैर बॉयल किए उपयोग में नहीं लें

◆ ह्यूमिडिफायर बोटल में अधिकत्तम पाइंट से 10 एमएम नीचे तक ही पानी भरना है

◆ ह्यूमिडिफायर बोटल में न्यूनतम पाइंट से नीचे नहीं जाना चाहिए पानी का लेवल

◆ दिनभर में दो बार पानी का लेवल चैक किया जाए, जरूरत हो तो उसे भरे

◆ ह्यूमिडिफायर बोटल के पानी को दिन में एकबार जरूर बदला जाए

◆ एक ही मरीज में उपयोग में लिए जाने पर ह्यूमिडिफायर बोटल को सप्ताह में एक बार जरूर एंटीसेप्टीक सॉल्यूशन से साफ करें

हालांकि, चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा समेत विभागीय अधिकारी प्रदेश में एकाएक सामने आई ब्लैक-फंगस बीमारी को लेकर चिंतित है। सरकार ने बीमारी में उपयोग इंजेक्शन की खरीद-फरोख्त भी शुरू कर दी है, साथ ही प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में ओपीडी का भी संचालन किया जा रहा है, लेकिन फिर भी लोगों की जागरूकता इस बीमारी की रोकथाम के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि यदि बीमारी के हर पक्ष को नहीं समझा गया, सावधानी नहीं बरती गई, तो कई परिवारों के लिए ये कोरोना से बड़ी जंग के रूप में सामने आएगी।

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